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### 1. सम तथा विषम जलवायु किसे कहते हैं? भारत में सम तथा विषम जलवायु वाले दो स्थानों के नाम लिखिए।
**सम जलवायु:**
सम जलवायु उन क्षेत्रों को कहते हैं जहाँ वर्ष भर तापमान और वर्षा की मात्रा में बहुत कम उतार-चढ़ाव होता है। ऐसे क्षेत्रों में मौसम की स्थितियाँ अपेक्षाकृत स्थिर रहती हैं।
**भारत में सम जलवायु वाले स्थान:**
- **केरल:** विशेषकर पश्चिमी घाट क्षेत्र में वर्षा और तापमान में मामूली परिवर्तन देखा जाता है।
- **गुजरात का दक्षिणी भाग:** यहाँ गर्मियों और सर्दियों में तापमान में अधिक अंतर नहीं होता।
**विषम जलवायु:**
विषम जलवायु वाले क्षेत्रों में वर्ष भर मौसम की स्थितियों में स्पष्ट बदलाव आते हैं। तापमान, वर्षा और अन्य जलवायु कारकों में बड़े पैमाने पर उतार-चढ़ाव होता है।
**भारत में विषम जलवायु वाले स्थान:**
- **दिल्ली:** यहाँ गर्मियों में अत्यधिक तापमान और सर्दियों में ठंड बहुत स्पष्ट रूप से अनुभव की जाती है।
- **राजस्थान (जैसे जोधपुर):** गर्मी का तापमान बहुत अधिक होता है जबकि सर्दियों में काफी ठंड पड़ती है।
### 2. जलवायु से आप क्या समझते हैं? भारतीय जलवायु का मानव-जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
**जलवायु की परिभाषा:**
जलवायु किसी क्षेत्र में दीर्घकालिक मौसम पैटर्न का वर्णन करती है, जिसमें तापमान, वर्षा, हवा की दिशा और गति, आद्रता आदि शामिल हैं। यह अवधारणा किसी क्षेत्र के मौसम के सामान्य और विशिष्ट लक्षणों को समाहित करती है।
**भारतीय जलवायु का मानव-जीवन पर प्रभाव:**
- **कृषि पर प्रभाव:**
भारतीय अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है, जो सीधे तौर पर जलवायु पर निर्भर करती है। मानसून की समयबद्धता और मात्रा फसल उत्पादन को प्रभावित करती है। असमान्य वर्षा से बाली फसल को नुकसान हो सकता है जिससे किसानों की आय पर असर पड़ता है।
- **आवास और जीवनशैली:**
विभिन्न जलवायु क्षेत्रों के अनुसार आवास की संरचना और जीवनशैली में विविधता आती है। उदाहरण के लिए, ठंडे क्षेत्रों में मोटे कपड़े और हीटर का उपयोग बढ़ता है, जबकि गर्म क्षेत्रों में हल्के कपड़े और वातानुकूलन का प्रचलन अधिक होता है।
- **स्वास्थ्य पर प्रभाव:**
अत्यधिक गर्मी या सर्दी से स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ सकती हैं, जैसे हीट स्ट्रोक, हिमस्नान, और संक्रमण। मौसमी बीमारियाँ भी जलवायु के अनुसार फैलती हैं।
- **आर्थिक गतिविधियाँ:**
निर्माण, पर्यटन, और अन्य आर्थिक गतिविधियाँ भी जलवायु पर निर्भर करती हैं। उदाहरण के लिए, सर्दियों में हिमस्नान पर्यटन बढ़ता है जबकि गर्मियों में समुद्र तटों पर पर्यटन।
- **संरचनात्मक बदलाव:**
जलवायु परिवर्तन के कारण प्राकृतिक आपदाएँ जैसे बाढ़, सूखा, चक्रवात आदि बढ़ रहे हैं, जिससे मानव जीवन और संपत्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
### 3. किसी क्षेत्र की जलवायु को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए।
किसी क्षेत्र की जलवायु निर्धारित करने में अनेक कारक भूमिका निभाते हैं। मुख्य कारक निम्नलिखित हैं:
1. **अक्षांश (Latitude):**
पृथ्वी पर किसी स्थान का अक्षांश यह निर्धारित करता है कि वह सूर्य के कितने निकट या दूर है। भूमध्य रेखा के निकट स्थानों में गर्म और आर्द्र जलवायु होती है, जबकि उच्च अक्षांश वाले क्षेत्रों में ठंडी जलवायु पाई जाती है।
2. **ऊंचाई (Altitude):**
किसी क्षेत्र की ऊंचाई बढ़ने पर तापमान घटता है। उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में ठंडी जलवायु होती है, जबकि समुद्र तल के निकट क्षेत्र में गर्मी अधिक होती है।
3. **समुद्र की निकटता (Proximity to Water Bodies):**
समुद्र, सागर और झीलों के निकट क्षेत्र में जलवायु अधिक स्थिर और आर्द्र होती है। पानी गर्मी को सोखता और ठंडक प्रदान करता है, जिससे तापमान में उथल-पुथल कम होती है।
4. **समुद्री प्रवाह (Ocean Currents):**
समुद्री धाराएं जैसे कि अरब सागर का गर्म प्रवाह या बंगाल की खाड़ी का ठंडा प्रवाह स्थानीय जलवायु पर प्रभाव डालते हैं। गर्म प्रवाह से तापमान बढ़ता है और ठंडा प्रवाह से कम होता है।
5. **वायुगमन (Wind Patterns):**
पवन की दिशा और गति से भी जलवायु प्रभावित होती है। भारत में दक्षिण-पश्चिमी मानसून की पवन दिशा भारी वर्षा लाती है, जबकि उत्तर-पूरबी पवन कम वर्षा प्रदान करती है।
6. **पर्वतीय अवरोध (Topographical Barriers):**
पर्वत श्रृंखलाएं वायुमंडलीय धाराओं को अवरुद्ध कर सकती हैं, जिससे एक ओर वर्षा अधिक हो और दूसरी ओर शुष्कता बढ़ सकती है। उदाहरण के लिए, हिमालय से और पश्चिम में शुष्क क्षेत्र उत्पन्न होते हैं।
7. **वनस्पति आच्छादन (Vegetation Cover):**
वन क्षेत्र से आर्द्रता परिवहन और वाष्पीकरण में योगदान होता है, जिससे स्थानीय जलवायु प्रभावित होती है। वन क्षेत्र से बारिश की मात्रा बढ़ सकती है और तापमान नियंत्रित रहता है।
8. **मानव क्रियाकलाप (Human Activities):**
औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, वनों की कटाई आदि मानवीय गतिविधियाँ भी जलवायु परिवर्तन में योगदान देती हैं, जिससे स्थानीय और वैश्विक जलवायु पर प्रभाव पड़ता है।
इन सभी कारकों का सम्मिलित प्रभाव किसी क्षेत्र की जलवायु को आकार देता है, जिससे वहां के प्राकृतिक पर्यावरण और मानव जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
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